फागुन रूपी यौवन
फागुन रूपी यौवन
जरा हमें भी कोई थोड़ा रंग तो लगाये
अदाओं से हमें कोई दीवाना तो बनायें
जरा कोई हमें जीने का ढंग तो सिखाये
फागुन आया है कोई हमें प्रेम रंग तो लगाये ।
तंग है हम तो हाल हमारा है बेहाल
मन है गम में और प्यास कर रही है बेताब
आह जो सांसों की कर जाती है हमें निराश
फागुन आया है कोई पूरी कर जाये आस ।
प्यारा सा पारस कोई हमारे संपर्क में आ पाये
चंचल मन का हमारे कोई चुनाव कर जाये
चुनावी माहौल में चुनौतियों को मिटा पाये
फागुन आया है कोई हमें वोट दिल का दे जाये।
निगाहों से कोई हमें देख कातिल कर पाये।
पनाहों में कोई आकर हमारी खातिर सब भूल जाये
भर दे मन को भावों से कोई अभाव ना रह पाये
फागुन आया है कोई जीवन रंगीन बना जाये ।
जो पतझड़ में गिरे पत्ते वो आने को है
लचक डाली की हवा संग झूलने को है
तर्क कुतर्क से हमें सताने वाले कोई आये
फागुन आया है कोई हमें प्रेम पंछी बना जाये ।
यह हवा फागुन की बन गई नशीली है
फूलों की सुगंध भी चारों ओर फैल गई है
हमारे जीवन की भूलों को कोई भुला जाये
फागुन आया है कोई मिलें जो हमें ना भूल पाये ।
पहला पन्ना जीवन का विमोचन हुआ है
अंतर्मन में अनुभवों का समावेश हुआ है
जीवन की काली रातों की शुरुआत यौवन है
जब ना हो संग कोई तो भटकाव तो होना है ।
यौवन है कच्चा मटका जो मामुली से टूट जाता है
कभी भी आवेश में आकर हताश हो जाता है
यौवन आने पर आने वाली बाधाऐं विशेष होती है
प्रेम का यह अनोखा फागुन जो प्राय पराया होता है ।
ठहरे थे जो हम गहराई में खामोश बनकर
यौवन की आहट ने हम पर कहर बरसाया है
जीवन को हमारे कलियों ने सजाने के लिए उकसाकर
फागुन रूपी यौवन दे गया हमें रुमानी अहसास दिलाकर।