STORYMIRROR

Babu Dhakar

Inspirational Others

4  

Babu Dhakar

Inspirational Others

आजकल

आजकल

3 mins
328


आजकल हम अपनी बात कहते हैं

माने ना कोई तो फिर भी कहते हैं

कुछ तनाव है और कुछ हैरान हैं

एक काम की बात भी बार बार दोहराते हैं।

जिम्मेदारी है जो वो तो निभानी होती है

अपने लिए अपनी बात बतानी होती है

ना माने तो ना सही कर्म तो अपना करना है

कुछ अर्थ मिले स्वार्थ से परे वहीं अच्छा है ।

आजकल खामोशी से बातचीत हो जाती है

हमारी बतलाईं बात किसी के समझ नहीं आती है

अरे समझने की चाहत और जिज्ञासा ना हो जिसे

उनके आगे बार बार बीन नहीं बजाई जाती है।

हवा से भी बातें करें क्योंकि वो सुनती है

हमें छू कर उसके होने को महसूस कराती है

हम कैसे हैं इसका अहसास हमें भी महसूस नहीं होता

पता ही नहीं चला कि अंधेरे ने हमें न जाने कब घेरा ।

सुन रहा हूं मैं सारी बातें

क्योंकि कहने को कुछ ना रहा

आजकल हमारी अपनी बात हम ना कहेंगे

क्यों कि हमें पता है हमारी बात हम पर आजमाई जाती है ।

यह कहा था आपने और यह होना था

बिन बाती के दिया नहीं जलना था

हमें पता है दिया बिन बाती के नहीं जलता है

पर मौसम का क्या कहें कि तापमान इतना नहीं होना था ।

आजकल पैरों में बंधी जंजीरें है

जो जेल की लौह जंजीरें नहीं है

मन जो करना चाहे वो ना कर सके

तो यह लौह जंजीरों से बड़ी घातक है ।

चुनौतियों के दौरान जो डट जाये

यह

वक्त उसका कुछ ना कर पाए

माना कि आप होशियार है बहुत

पर सरल जनों को ना समझे कम ।

सरल है वह नरम है

तरल की तरह बह रहा है

ऊंचाई की तरफ नहीं चल सकता

स्वभाव उसका तरल की तरह जो है ।

जो सरल है वह कर रहा अपना कर्म है

कभी नहीं हटता वह अपने कर्तव्य से

तरल पानी का ढलान की ओर जाना ही धर्म है।

आजकल की बातें ना पुंछो

हमें पता है तुम ना बोलों

तुम्हारे बोलने से पहले हमें ज्ञात है

तुम्हारे मन में छिपा हुआ जो जाल है।

ख्यालों में खोया है कि सब जानता है

अपने अपने प्रियजनों को पहचानता है

जो अनजान हैं और आपसे उन्हें कुछ चाहिए

तो बतला देना हमें आपकी मदद में कोई रूचि नहीं है।

आप अनजान हैं आपका क्या भरोसा

यहां अपनों ने ही अपनों को दिया धोखा

आजकल हम भी परेशान हैं यहां

और आप हमें ना करें परेशान।

परेशान क्यों हैं तो पता नहीं है

आपसे बातें करने की सजा क्या है

हालत है अपनी लत से गलत करने की

इसमें किसी और का कोई दोष नहीं है।

आजकल सब परेशान हैं

एक दुसरे से निराश हैं

मानें है सबमें विराजमान भगवान है

तो इसलिए ही आज कल भगवान नाराज़ है।

आजकल हम अपनी बात कहते हैं

माने ना कोई तो फिर भी कहते हैं

कुछ तनाव है और कुछ हैरान हैं

एक काम की बात भी बार बार दोहराते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational