हे बादल बरस
हे बादल बरस


हे बादल बरस की तरस रहे हैं सब
पर बरसने पर ना रुके ऐसा ना कर
सब कुछ सही समय पर हो जरूरी नहीं
पर अब बरसने में इतनी देर ना कर ।
गुम हैं बादल किसी हवा के पीछे
साथी बादल जो ना मिले दूसरे
बात ना हुई उनसे तो रूष गए हो
अकेले में क्या बरसना भी छोड़ दिये हो ।
वक्त वक्त की बात है
कभी कभी होती मुलाकात है
अगर उसमें भी ना मिले तो धिक्कार है
पता तो चले कौन कितना साहुकार है ।
किसी का ज्यादा संग भी परेशान करता है
और किसी को ज्यादा सताना भी नामंजूर होता है
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दुःखों में साथ जो टिक सका
वो ही सच्चे प्रेम की पहचान है।
तेरे बरस के ना बरसने पर भी
फसलें मरते दम तक इंतजार करती है
एक वो ही है जो तेरे कारण जिंदा है
शायद इसलिए सदैव तेरा ही दीदार करती है ।
बरसना है तुझे एक दिन
तरसा ना तु इनको बहुत दिन
ये नादान है और खुद से अनजान हैं
तेरे भरोसे खड़ी है तो इनका मान रख।
हे बादल बरस की तरस रहे है सब
पर बरसने पर ना रुके ऐसा ना कर
सब कुछ सही समय पर हो जरूरी नहीं
पर अब बरसने में इतनी देर ना कर।