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Babu Dhakar

Others

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श्री कृष्ण की करूणा

श्री कृष्ण की करूणा

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श्री कृष्ण की करूणा

अनेक रूपों में साथ होती है

चाहे दिखाई नहीं देती भले

पर हमें महसूस होती है।

अनेक रूपों में

स्वरुप उनका

जैसे फैला रहता

प्रकाश सुर्य का ।

उदय होता 

अस्त होता

हमें प्रतीत होता है

पर प्रकाश सदा नभ में होता है।

मन में रहे कृष्णा ऐसे रमे हुये

नभ में रहे जैसे धूप सुनहरी

यह धूप , रूप को भले जलायें

पर इससे ही तो रूप निखर पाये ।

निखर कर यह जब स्वरूप बन जाये

तब कृष्ण हमें जीवन की राहें दिखायें

जीवन की राहों में कांटे बहुत आयें

एक कृष्ण नाम ही है जो इन्हें हटायें।

मन रमता है मोहन तुममें जिनका

तुम बदल देते हो स्वरूप उनका

कुरूप हो चाहे सुन्दर हो

तुम में जो रमा वो ही मनोरम बना ।

मन मोहन मन को हरने वाले

हमें भी तु अपना बना लें

हम शरण में है तेरी

हम पर करूणा करो है कृष्णा।

श्री कृष्ण की करूणा

अनेक रूपों में साथ होती है

चाहे दिखाई नहीं देती भले

पर हमें महसूस होती है।

जय श्री कृष्णा जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्म के जन्मोत्सव की बहूत बहुत बधाई



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