लव जिहाद
लव जिहाद
यूं यहां क्यों आये हो आप दोनों छूपते छूपाते
इस तरह अपनों से रिश्ते सारे मिटते मिटाते
क्या वहां कोई नहीं आपके थे जो आपको रोकते
आप दो प्रेमी यहां क्यों आये हो अपनों को छोड़ के।
यूं ये जवानी का सफर सुहाना होता है
प्रेम का यह रोग बडा निराला होता है
सच बताओं आप यहां विवाह के लिए आये हो
पर पहनावे से आप धर्मों में अलग अलग लगते हो।
इस पर यूवक बोला मीठी बानी
सुनो पुजारी ! आप का कहना हैं सही
मैं युवक हूं मुस्लिम और यह हिन्दू बाला है
इससे मुझे हिन्दू बन प्रेम विवाह करना है।
मैं इसका और यह मेरी प्रेम पुजारन है
सातों जन्म संग रहना हमारी चाहत हैं
मैंने इसे बिल्कुल भी नहीं भरमाया है
इसके ही दिल ने मुझे अपना बनाया है।
मेरे बिन इसकी आंखे आसूओं में डूबी हैं
मेरे बिन इसके सारे सपनों की लडी टूटी है
मेरे लिए इसने अपनों को बिसरा दिया
मेरे भगवन्! मेरा दिल भी इसका हो गया।
बोले पुजारी सुन वो लड़की अनाड़ी
अपनी इज्जत क्या तूम्हैं नहीं प्यारी
प्रेम करना ही था तो अपने धर्म में क्या कोई नहीं था
तूम्हैं ऐसे ही अपने धर्म के बिन फेरे इसकी नहीं होना था।
दूर चले जाओ मेरी नज़रों से
आपका भला नहीं कर सकता मैं
जो अपने धर्म का ना होता है
वो प्रेम करने की औकात नहीं रखता है।
यूवती बोली कर ललकार
आंखों में भरकर अंगार
जानती हूं मैं अपने धर्म की परिभाषा
धर्म से क्या संविधान की नहीं महान भाषा।
धर्म वहीं सच्चा जिसे धारण कर सकते हैं
किसी का बूरा ना हो जिससे वो कर्म अच्छे है
कोई धर्म क्या आपस में बैर करना सिखाता है
संविधान का विधान प्रेम विवाह को कानूनी मानता है।
बोले पूजारी तुम यथार्थ से वाकिफ नहीं हो
तुम ये संविधान का ज्ञान मुझे नहीं सिखलाओ
जिसने तुमको जन्म दिया उनको छोड़ना क्या सही है
मां बाप कि आज्ञा का पालन क्या प्रेम पहला नहीं है।
मां बाप हैं जैसे किसी तरू की गहरी छाया
सदा बच्चों के लिए होती हैं इनकी अपनी काया
तुम उन्हें दुःखी करके चाहे हासिल कर लो माया
फिर पछतावे में प्रकट होती है स्वयं की ये अभिलाषा।
मैं पूजारी आज अगर विवाह करवा भी दूं भले
तुम दोनो को कल अवश्य ही अनेक मिलेंगे तानें
तुम हिन्दू या मुस्लिम बन अब भी विवाह करना चाहो
मुझे कुछ ना कहना कल जब लव जिहाद में फंस जाओ।
लव जिहाद क्या होता है, एक विवाद हो जाता है
दोनों को समाप्त करने को ये समाज तैयार हो जाता है
तुम अपराधी भी ना बनके सीधे मारे जाओगे
बोलो फिर भी क्या तुम प्रेम विवाह करना चाहोगे।
बोला फिर युवक पंडित जी ! बात आप की सही है
हम चाहें प्रेम में जीयें या मरे कुछ फर्क नहीं पड़ता है
हमारे मां बाप हर पल बरसों तक सताये जायेंगे
उनके सारे सुरक्षित अधिकार भी छिन लिये जायेंगे।
यूवती अब अपनी पलकें नीची करके बोली
हमें अपनों की खुशी में अपनी खुशी भूलानी होगी
यूं अगर विपरीत धर्म में विवाह लव जिहाद बन उभरता है
तो हमें इसके कारण अपनी जींदगी अकेले बितानी होगी।
लव जिहाद नाम है कुकर्मों का
प्रेम में झुठे प्रेमियों पर है ये लक्ष्मण रेखा
कुछ प्रेम तो करते हैं पर धोखा भी दे जाते हैं
सब इनकी तरह सच्चे प्रेमी कहां मिल पाते हैं।
जो तड़प लें पर किसी और से प्रेम नहीं करें
अपने प्रेम को अपने तक सीमित कर सके
कुछ अपने प्रेम पर भरोसा आसानी से करवाकर
अपने प्रेम का , लव जिहाद को दे देते हैं उपहार।
इस लव जिहाद में यह होता है कि एक का प्रेम सच्चा होता है
पर दूसरा उसे धर्म परिवर्तन से लव जिहाद में शामिल करता है
जब भोला लड़का हो या हो भोली लड़की इसके होते है शिकार
तब अपने अपने धर्म को उच्च बताने का ये समाज करते हैं व्यापार।