व्यापारी सहता बाजार की मार पैसे गिनता बस उसी में है सार फिक्र वक्त की यहां करता कौन है व्यापारी सहता बाजार की मार पैसे गिनता बस उसी में है सार फिक्र वक्त की यहां...
इतने में तो खा लेता, जमकर पूरा परिवार। इतने में तो खा लेता, जमकर पूरा परिवार।
इस दुनिया में प्यार से भी बड़ा है व्यापार। इस दुनिया में प्यार से भी बड़ा है व्यापार।
झूठे अभिमान की लौ में दहकता रहता कितनी परीक्षाएं लेगा नारी की और कब तक। झूठे अभिमान की लौ में दहकता रहता कितनी परीक्षाएं लेगा नारी की और कब तक।
यहाँ कलयुग की रामायण का लगता दरबार है, गर रावण है तो सीता भी अब तैयार है यहाँ कलयुग की रामायण का लगता दरबार है, गर रावण है तो सीता भी अब तैयार है
देश सुधारक खुद करता है जनता संग खिलवाड़ रे। देश सुधारक खुद करता है जनता संग खिलवाड़ रे।