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विनोद महर्षि'अप्रिय'

Inspirational

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विनोद महर्षि'अप्रिय'

Inspirational

समय

समय

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समय का पहिया कब रुका है

समय लक्ष्य से कब चुका है

पर चूक तो राहगीर की होती है

बीत जाने पर दुःखी आह होती है

समय नहीं है आज नेता के पास

रखते है हम जो एक उनसे आस

व्यापारी सहता बाजार की मार

पैसे गिनता बस उसी में है सार

फिक्र वक्त की यहां करता कौन है

कल की कदर यहां करता कौन है

बस भगमभाग है यहां है रेलमपेल

परिवार नही है बस पैसों का खेल

पर क्यों भूल गया तू उसका खेल

मलता नही है वो घावों पर तेल

वक्त के साथ घाव नासूर होते हैं

वो तेरी अनदेखी के असर होते हैं

वक्त की कीमत पहचान रे अब तू

वक्त के साथ चलना सीख अब तू

गर मार समय की कभी तुझे पड़ी

सोच नजर उसकी है तुझ पर गड़ी

चेत नहीं चित में सुकून ना पायेगा

राह में अटका तो मंज़िल ना पायेगा।।




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