सैनिक दिवस
सैनिक दिवस
मंज़िल हैं मौत, फिर भी
वो रोज़ नई ज़िन्दगी जीते हैं ,
ओढ़कर मौत का कफ़न,
वो रोज़ सीमा पर पहरा देते हैं ,
आन रखने को तिरंगे की,
वो अपनी हस्ती तक मिटा देते हैं ,
सो सको तुम चैन से इसलिए,
वो हर रातभर पहरा देते हैं ,
खुशियाँ मना सको तुम परिवार के साथ
इसलिए, वो अपने घर से दूर रहते हैं ,
छीन ना ले तुम्हारी आज़ादी कोई इसलिए,
वो हर पल मौत की कैद में रहते हैं ,
छिड़ जाये जंग अगर और टूट ना देश का मनोबल इसलिए,
हर सैनिक शहादत में भी मुस्कुराता है ।