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Rahul Desai

Abstract Tragedy

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Rahul Desai

Abstract Tragedy

अगले जन्म मुझे बिटिया ना करो

अगले जन्म मुझे बिटिया ना करो

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दिन रात हो रहे बलात्कार की वारदातों 

को सुना जब उसने मां की कोख में,

बोल उठी वह कांपते हुए,

"मां, बचा तो लोगे मुझे भ्रूण हत्या से,

पर कैसे बचा पाओगे इन हैवानों से?"


चिकित्सालय में होती लिंग परीक्षण की बातों

को जब उसने सुना मां की कोख में,

बोल उठी वो चिंतित स्वर में,

" मां, बचा तो लोगे मुझे परीक्षण के

कड़े कानून की वजह से,

पर, कैसे बचा पाओगे मुझे यहां

जहां कानून ही कानून को तोड़ता है। (२)


साल में एक दिन बेटी दिवस को मानते 

जब उसने सुना मां की कोख में,

तब बोल उठी वो भ्रमित हो कर,

"मां, दिखा तो दोगे तुम दुनिया को की

मैं सबसे सुंदर बेटी हूं,

पर, इस सुंदरता को बचा पाओगे

उन हवस भरी नज़रों से?" (३)


अंत में बोल उठी उस लड़की की कांपती रूह,

मां, बेटी बचाओ का नारा बंद करो,

और अगले जन्म मुझे बिटिया ना करो,

मुझे बिटिया ना करो।


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