STORYMIRROR

Rahul Desai

Tragedy

3  

Rahul Desai

Tragedy

घायल

घायल

1 min
213

यहाँ धर्म-मज़हब की लड़ाई में,

घायल हर इंसान है।

यहाँ जातीवाद की लड़ाई में,

घायल हर प्रेमी है।

यहाँ अहंकार की लड़ाई में, 

घायल हर रिश्ता है।

यहाँ जिस्मानी भूख की लड़ाई में,

घायल नारी की इज़्ज़त है।

यहाँ पैसा बनाने की लड़ाई में,

घायल इंसान का ज़मीर है।

आओ लगाकर मरहम इंसानियत का,

समाज को थोड़ा सुकून बांटते है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy