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Archana Saxena

Inspirational

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Archana Saxena

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क्या मर्द को दर्द नहीं होता?

क्या मर्द को दर्द नहीं होता?

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एक कहावत सुनती आई मैं तो सदा

कहते हैं सब मर्द को दर्द नहीं होता। 

पर क्या सच है ऐसा सही में होता है?

भावनाओं से उसका कोई न नाता है?

मर्द भी होता इंसान वह भी रखता है दिल

यह कह कर न बनाओ उसको पत्थर दिल।

भावनाएं जब आहत हों तो रोता मन

बहने दो आँसुओं को गंगा जमुना बन।

बाँध नहीं बाँधो रोको मत दर्दे दिल

कहीं न हो जाये वह गम से अति बोझिल।


कहते जिनको ईश्वर वह भी रोते थे

सीता वियोग में राम भी नयन भिगोते थे।

भरत मिलाप को कैसे हम सब सकते भूल

रो रोकर ही भरत ने ली प्रभु चरणों की धूल।

चलते हैं द्वापर में कृष्ण को याद करें

आये भागे द्वार पे जहाँ थे सुदामा खड़े।

चरण धोये आँसुओं से हमको ज्ञात ही है

रो रो कर खाया फिर उनसे भात भी है।


फिर हम मर्द को क्यों नहीं रोने देते हैं?

दिल के दर्द को क्यों नहीं बहने देते हैं?

कुंठित कर देती है उनको ये लाचारी

आँसू नहीं गिरा सकते मन है भारी।

भारी मन को हल्का तो हो लेने दो

मर्द चाहे तो जी भर उसे रो लेने दो।।



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