माँ
माँ
मां बनने का सुखद एहसास
बेटी घर आएगी फैलेगी सुवास
महकेगा घर -आंगन का कोना- कोना
हो गया था जाने क्यों एहसास !
जीवन में वह सुनहरा पल आया
यथार्थ के धरातल पर तुमको पाया
राजीव लोचन से अपलक निहारते तेरे नैन
तुमने मेरी अंक को फूलों सा सजाया ।
भावनाओं, संवेदनाओं से युक्त
सोन चिरैया सी कलरव करती
पायल की छम- छम से जीवनमे
घर की खुशियों में अलौकिक दिव्यता भरती।
चंचल तरंगों सी अठखेलियांँ करती
संकल्पित मन से लक्ष्य भेदती
सफलता प्राप्त कर आह्लादित करती
मात- पिता को गौरवान्वित करती।
परिंदों सी उड़ान भरी जब से
मन विकलांत मिलन को तुमसे
अब धैर्य साथ छोड़ने लगा है
हर पल तेरे आने की आस करने लगा है ।
बारिश बन बरसो तुम घर -आंँगन में
छा जाए हरियाली घर के हर कोने में
आंँखों का नूर,आत्मा का अंश हो तुम
संँजों लू ह्रदय में तेरी चंचल मुस्कान।।
