मई
मई
तुमसे मिलने को तरस गई नयना मई में,
भरी दोपहरी में बरसी कुछ बूंदें मई में,
बूंदों से भीगते हुए हम अकेले मई में,
कब आओगे? जो दिल की बात कह सकूं मई में,
बीत गए जेठ भी दसतपा भी मई में,
हमारे लिए उनका इंतजार अभी भी शेष है मई में,
तुम्हारी याद में डूबी कई कसमें पुरानी हैं।
तुम्हारी चाह में सिमटी पलों की ये निशानी हैं।
"मई" थी वो कि जिसकी याद में तुमको पुकारा था।
मिलो तुम "जून" में एक बार कुछ रस्में निभानी हैं।