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sunayna mishra

Tragedy

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sunayna mishra

Tragedy

श्रद्धा

श्रद्धा

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इधर कई दिनों से श्रद्धा प्रकरण से मन बहुत विचलित व्याकुल हुआ।

आज कुछेक शब्द निकल पड़े.....


जिस जिस ने जगकर स्वयं सूर्य की किरणों की ऊष्मा पाई

उस उस ने जग में जग जीता सम्मान और सुषुमा पाई!

स्त्रियाँ हमारी जन्मदात्री जन्मधात्री होती हैं

हम पुरुषों ने सर्वथा स्त्रियों से जग में सब श्री पाई !


शर्मिन्दा होते...नित्य समाचारों को जब सुनते पढ़ते

देखा धरती के आँचल में श्रद्धा को असमय बलि चढ़ते

मन बहुत दुःखी हो जाता है बस तब ये शब्द निकलते हैं

कैसे कैसे, भारत भू पर , हत्यारे जीते पलते हैं....


स्त्रियाँ जागृत हों अपने गौरव गरिमा का ध्यान करें

नवयुवतियाँ यदि शिक्षित हैं तो परिवारों के मान करें

सब नाते रिश्तेदारों माँ के मन का भी सम्मान करें

और पिता स्वयं आकाश अरे कुछ तो उसका भी ध्यान धरें !


सब दुश्मन नहीं तुम्हारे हैं जो तुम दुश्मन के पास गईं

कुल मान और मर्यादा का तुम स्वयं कराने नाश गईं??

अब सारा देश हुआ विचलित हर जगह तुम्हारे चर्चे हैं

सब शोकग्रस्त हैं हत्यारे भी पकड़े गए अगरचे हैं !


जीवन केवल जीवनसाथी पाने के लिए नहीं होता

जीवन केवल मनमर्ज़ी के लिव इन के लिए नहीं होता

जीवन विस्तृत विस्तार अरे जीवन समाज हित होता है

वह बड़ा मूर्ख जो इसे स्वयं की ज़िद पर केवल जीता है !


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