अनोखी खुशी
अनोखी खुशी
बहुत से लोग जीवन में आगे और जाते हैं
उनमें से बहुत कम होते हैं जो जिंदगी भर साथ रहते हैं
मेरी जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ है
वक्त तेजी से बीत रहा था क्या करना है
वही ठीक से पता नहीं था।
पर कुछ समय बीत ने के बाद
पता चला आखिर करना क्या है
कुछ चीजें वक्त गुजरने के बाद ही पता चलती है
मैंने न ही कभी कोई कहानी लिखी न ही कविता
पर इसे मैं संयोग कहूँ या कुछ और कि
प्रतिदिन प्रतियोगिता रोज कुछ ना कुछ चल रहा है।
आखिर यह एक संयोग है या कुछ और पता नहीं
मेरे लिखने की शुरुआत प्रतियोगिता से हुई
जब मेरी एक अध्यापिका ने मुझे इसके बारे में बताया,
मैंने तो सिर्फ उन्हीं के लिए भाग लिया था,
पर कहाँ पता था आगे कुछ और ही लिखा है
लिखने का सिलसिला वक्त के बाद शुरू हो गया
बाद में जैसे आदत ही पड़ गई
अब लिखना जारी है,
खुद के लिए नहीं पर किसी और के लिए
उसकी एक अलग ही खुशी मिलती है
जहाँ पर मैंने अपनी रचनाएँ लिखी स्टोरिमिरर पर।