अध्यापिका...
अध्यापिका...


मैं खुद को बहुत ही भाग्यवान मानती हूँ की
मुझे ऐसे अध्यापिका मिली जिन्होंने
मेरा जीवन पूरी तरह से बदल दिया
मैं सुबह कितने बजे उठती हूँ उठकर क्या करती हूँ
हर चीज का ख्याल रखती है
छात्र कम पर बेटी ज्यादा मानती है
इसलिए माँ होने के नाते हर छोटी से छोटी बात
बहुत सरल भाषा में समझा देती है
जिसके चलते चीजें समझ आती है
वैसे देखा जाए तो हर किसी का अपना निजी जीवन होता है
परंतु इसके चलते हर चीज का ख्याल रखना और
उसके मुताबिक चलना बहुत ही अलग बात होती है
बस फर्क इतना ही है की उनकी कोख से जन्मे नहीं
पर वो मेरे लिए मेरी माँ भी है और मेरा पूरा विश्व भी
मेरी जिंदगी में उन्होंने आकर एक नई दिशा
दी
जिसके चलते मुझे इतना तो यकीन हो गया
चाहे कुछ भी हो जाए वो कभी भी मेरा साथ नहीं छोड़ेंगी
और भला छोड़ भी कैसे सकती है आखिर बेटी जो हूँ उनकी
जिन्होंने वकील के रूप में मेरे सारे नखरे उठाए
जिन्होंने सहेली बन कर छोटी छोटी बाते समझाई
जिन्होंने अध्यापिका बन कर पाठ पढ़ाये
जिन्होंने माँ बन कर जीवन की सीख दी...
मेरे लिए उन्होंने जो कुछ भी किया उसके लिए
मैं धन्यवाद नहीं करूँगी क्योंकि कहते हैं कि
अपनों से क्या शुक्रिया अदा करना !!!
परंतु मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूँ की
उनकी वजह से वो मेरी जिंदगी में आई
और मेरा विश्व ही बन गई...
वैसे उन अध्यापिका का नाम है...
अर्चना आहेर मैडम