जिंदगी
जिंदगी
फिर एक जंग जीत ली
एक नया मंजर पा लिया
असली फतेह तो तब हुई
जब खुद को जीना आ गया।
अब तो यह ख्वाइशें,
हर मुकाम कुछ मुमकिन सा लगने लगा है।
जब से जिंदगी तुझसे दोस्ती का एहसास होने लगा है।
यूँ ही कुछ हौसला अफजाई होती रहे ए जिंदगी
आसमा मुट्ठी में हो और दोस्ती खुद से रहे।
