होली
होली
वर्णों की अपनी है माया,
इसने है संसार सजाया।
रंगीन करके जगत को सारे
हर हृदय को है हर्षाया।
वर्णों बिना अर्थहीन है जीवन,
वर्णों बिना सुनसान है आँगन।
है ये प्यार के प्रतीक सारे,
देखकर प्रफुल्लित होता है मन।
मोर के पंखों के रंग देखो,
सावन में इंद्रधनुष मलंग देखो।
लगते हैं ये इतने मतवाले,
देखकर प्रसन्न होते जगवाले।
सीखना है तो रंगों से सीखो,
बिखर कर निखरा कैसे हैं जाता।
हौंसला बुलंद रखना केवल,
देख रहा है भाग्य विधाता।
तन को रंगना सरल है इतना,
हर व्यक्ति ही है कर पाता।
रंगना हो तो रूह को रंग लो,
जिसमें है ईश्वर समाता।