बदलता परिवेश
बदलता परिवेश
देता है संदेश
लोगों का यह वेश
बदल रहा परिवेश,
या बदल रहा मेरा देश
बदल रहा है प्रेम दिलों का,
बदल रही है नैतिकता
राग, द्वेष सब लेकर बैठे,
निभाया ना जाता है रिश्ता
पूजा-पाठ का दौर रहा ना,
संस्कृति से जुड़ता कोई कोई
केवल दिखावे की दौड़ में,
भाग रहा है हर कोई
परिधि मेरे चारों ओर की,
मेरा हृदय झुंझलाती है
स्नेह भावना किसी के व्यवहार में,
किंचित नजर ना आती है
बदलते परिवेश में बदली परिस्थितियां,
साधारण ही नहीं बदल गई हस्तियां
जीवन शैली में आया परिवर्तन,
बदला जीवन, बदल गया है मन
परिवेश मेरा मुझसे कह रहा,
बदल दे मुझे या बदल जा खुद ही
कर ले अब पहल तू ही,
या स्वीकार ले इसको ऐसे ही
चिंतनीय है स्थिति अवश्य
पर यदि नए परिधान है सभ्य
पहनने में ना हो कोई भय,
संस्कारों से जोड़ने का ही हो ध्येय
बदल जाओ बदलते परिवेश के साथ,
पर संस्कारों की नींव हो पक्की
देखो खुद को पिसने मत देना,
बदलते समय की चल रही है चक्की
बदलते समय की चल रही है चक्की
