माँ
माँ
देखे हैं दुनिया भर के रिश्ते मैंने,
तेरे जैसा कोई भी ना है माँ।
मैं धूप में जब-जब खड़ा रहा,
तू हरदम करती मुझ पर छाँव।
हर रिश्ते में मिलावट देखी,
तेरा प्यार ही सच्चा माँ।
मैं कितना भी बड़ा हो जाऊँ,
रहूँगा हमेशा तेरा बच्चा माँ।
मुझे तूने काबिल बनाया,
रख कर अपने सपनों को परे।
मैंने देखे है तूने कितने,
झेले हैं दुख बड़े-बड़े।
तेरे प्यार की धारा हरदम,
मुझ पर बहती रहती है।
गम में तू रहे भले ही,
कभी ना किसी से कुछ कहती है।
निस्वार्थ भाव से प्यार करना,
आज भी बिल्कुल समान है।
बचपन से ही देखा मैंने,
मेरी माँ तू कितनी महान है।
