स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
सादगी से करके वार,
मिटाया जिसने अत्याचार
साहसी शूरवीर ने,
जगाया यह संसार !
जिसका उच्च लक्ष्य था,
आत्मविश्वासी भी वह था
चरित्र मे थी शुद्धता,
दीन दुखियों से थी मित्रता !
आध्यात्मिक वह गुरु था,
वेदांत का था ज्ञाता
नरेन्द्र अभिधान से भी,
वह है जाना जाता!
संयम था इंद्रियों पर,
मन पर भी थी स्थिरता
जीवन पूर्ण नैतिक,
चरित्र में थी शुद्धता !
जिसकी थी तीव्र बुद्धि,
शरीर में थी शक्ति
मुखमण्डल था तेजस्वी,
वाणी भी थी ओजस्वी!
युवाओं के लिए प्रेरणा,
जीवन जिसका है बना
युवा संन्यासी के रूप में
भारतीय संस्कृति से मिला !
परमहंस का था शिष्य,
गुरु के प्रति थी भक्ति
अध्यात्म विद्या दर्शन में,
मानी थी जिसने शक्ति !
अटल देश भक्ति,
विवेकानंद में थी
मातृभूमि में भी,
थी उनकी प्रेमभक्ति!
उनके चरणचिह्न पर,
चल पड़ेगा युवा गर
समाज में फिर होगी,
उन्नति और प्रगति
उन्नति और प्रगति!
