पर्यावरण
पर्यावरण
कितना प्यारा कितना सुंदर,
कितना सुनहरा पर्यावरण। परमात्मा ने रचा प्रकृति को,
फैलाया अपना आवरण।
धीरे-धीरे बदलते गए,
छोटे पौधे पेड़ों में।
हरियाली छा गई चारों तरफ,
ताज़गी थी सवेरों में।
पर्यावरण में उगता सूरज,
बहते झर -झर थे झरने।
हर एक सजीव प्राणी के,
मन को लगा था यह हरने।
सदुपयोग नहीं दुरुपयोग हुआ,
इस विशाल प्रकृति का।
ईश्वर भी उदास हुए,
नुकसान देख अपनी कृति का।
धरती सुरक्षित रहें हमारी,
हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
आओ मिलकर पर्यावरण बचाएँ,
अब हमारी बारी है।
अब हमारी बारी है।
