माता-पिता
माता-पिता
त्याग माता पिता का देखे कौन,
नही माता पिता सा दूजा कोई,
जीवन भर अपना फ़र्ज़ निभाते,
बोझ जिम्मेदारियों की गठरी का,
अपने कंधों पर उठाते,
नहीं कभी कुछ भी जतलाते,
दफ्न कर अपने अरमान,
करते संतान के उज्ज्वल
भविष्य का निर्माण,
फर्ज अपना भी निभाओ तुम,
करो माता पिता की
भावनाओं का सम्मान,
माता पिता ही घर की शान।
