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Manju Anand

Tragedy

4.7  

Manju Anand

Tragedy

फुटपाथ

फुटपाथ

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कुछ ज़िंदगियाँ फुटपाथ पर भी रहती हैं,

पूछो ज़रा उनसे,

सर्द हवाओँ के थपेड़े,

सर्दियों में कैसे वह सहती हैं,

ठिठुर जाता होगा तन उनका,

छू जाती होंगी जब सर्द हवाएं उनको,

सो जाती हैं फुटपाथ पर ही,

खुले आसमान के नीचे यह ज़िंदगियाँ,

ओढ़े फटा&n

bsp;कंबल या पुरानी चादर कोई,

सिकोड़ कर शरीर अपना,

गुज़ार लेती हैं बर्फ़ीली रातें,

करते हुए बेसब्री से इंतज़ार सुबह का,

जैसे तैसे अपने को ढक-ढाक कर सो जाती हैं,

यह बदनसीब ज़िंदगियाँ फुटपाथ पर ही रहती हैं,

कुछ ज़िंदगियाँ फुटपाथ पर भी रहती हैं ।

 


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