मेट्रो का सफ़र
मेट्रो का सफ़र
मेट्रो का सफ़र,
होता है सुगम मनभावन,
स्वच्छ चमकती मेट्रो में रखते ही क़दम,
मन खुश हो जाता है,
सफ़र चाहे कितना ही लंबा हो क्यों ना,
पल भर में तय जैसे हो जाता है,
ना गर्मी ना सर्दी ना ही होता,
बारिश में भीगने का कोई डर,
वातानुकूलित है यह मेट्रो का सफ़र,
मिल जाए अगर सीट खाली तो सफ़र तय करने में हो जाती आसानी,
रहना पड़े अगर खड़ा भी तो भी नहीं होती कुछ ज़्यादा परेशानी,
हर उम्र के हर वर्ग के व्यक्ति को,
आनंददायक लगता है मेट्रो का सफ़र,
अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच जाता हर व्यक्ति कम ख़र्चा कर,
मेट्रो में देती सुनाई लगातार एक मधुर आवाज़,
करती रहती हमें सावधान,
स्टेशन आने पर देती सूचना,
मेट्रो के नियमों से अवगत करवाती,
मेट्रो में सफ़र करने वाले यात्री,
बैठे रहते होकर शांत,
रहता अधिकतर सबका अपने मोबाइल पर ही ध्यान,
धीरे से दरवाज़े इसके खुलते,
स्टेशन आने पर यात्री चढ़ते उतरते,
बिना किए कोई शोरगुल,
मेट्रो चल पड़ती फिर से,
मेट्रो का सफ़र।
