हरी - हरी जब बत्ती दिखती निकले सीना तान सड़क सुरक्षा का पापा जी ! हरी - हरी जब बत्ती दिखती निकले सीना तान सड़क सुरक्षा का पापा जी !
मैं हूं, यहीं कहीं, हर भीड़ में हर चेहरे पर। मैं हूं, यहीं कहीं, हर भीड़ में हर चेहरे पर।
मानो या न मानो मर्ज़ी तुम्हारी है फायदा तुम्हारा है अगर मान जाओगे। मानो या न मानो मर्ज़ी तुम्हारी है फायदा तुम्हारा है अगर मान जाओगे।
बस "तरुण" उन्हीं यादों को, फिर से याद दिलाना चाहा है। बस "तरुण" उन्हीं यादों को, फिर से याद दिलाना चाहा है।
वो ठहरे हुए पेड़, ओर चलता हुआ सूरज, जो अपने और पराये का भेद बताते हैं। वो ठहरे हुए पेड़, ओर चलता हुआ सूरज, जो अपने और पराये का भेद बताते हैं।
बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड़ी बनाते, धमा-चौक... बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड...