मुंबई लोकल का, क्या कहना है भाई, चढ़ जाते हैं सब, पर सबको होती है घाई ! मुंबई लोकल का, क्या कहना है भाई, चढ़ जाते हैं सब, पर सबको होती है घाई !
बड़ी तकलीफ होती है, किसी के पास व किसी से दूर जाने की। बड़ी तकलीफ होती है, किसी के पास व किसी से दूर जाने की।
बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड़ी बनाते, धमा-चौक... बच्चों के तो भाग खुले हैं, खिड़कियों पर क़ब्ज़ा जमाते, रेलगाड़ी को खेल गाड...
एक तिनका भी बचा नहीं पाया मै , उसने बड़ी फुरसत से यह दुकान लूटी है .. एक तिनका भी बचा नहीं पाया मै , उसने बड़ी फुरसत से यह दुकान लूटी है ..