STORYMIRROR

Kumar Ritu Raj

Romance Others Children

4.7  

Kumar Ritu Raj

Romance Others Children

ट्रेन का सफर

ट्रेन का सफर

1 min
718


दो लफ्जों का सफर कभी इधर कभी उधर,

अंततः हम ट्रेन व टिकट बनें हमसफर।


इंतजार किसी को पाने की,

किसी अपनों से दूर जाने की।

हर लम्हा खुशहाल हो,

दिल को मनाने की।


दो लफ्ज़ों के रास्ते,

दिल को बहलाने की।


दो लफ्जों का सफर

कभी इधर कभी उधर...


आंखें मिचोलके, नजरें तरासती

ना जाने किस नदी, किस कमल,

किस पंछी की प्यास थी।


होती है इच्छा, बीत जाए ये कारवा।

बड़ी तकलीफ होती है,

किसी के पास व किसी से दूर जाने की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance