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Purwarth Dev

Romance

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Purwarth Dev

Romance

प्रेम ना जताऊँ

प्रेम ना जताऊँ

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हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे..

लेकिन कभी

लाल साड़ी में तुम्हें देखकर थम जाए मेरी नज़र तो

समझ जाना तुम...


जब तुम रसोई में अकेली हो

और उसी वक़्त मैं वहां पानी पीने आऊँ तो

मेरी प्यास को समझ जाना तुम...


ऑफिस से लौटते हुए कुछ ग़ज़रे ले आऊँ

और सबकी नज़रों से बचाकर तुम्हारे सामने रख दूँ तो

समझ जाना तुम...


जब दोस्तों के साथ घूमने का प्लान कैंसिल करके

तुम्हारे साथ गोलगप्पे खाने चला जाऊं तो

समझ जाना तुम...


तुमसे कोई गलती हो जाये और मैं गुस्साने या खीजने की बजाय

तुम्हारी पीठ को सहला दूँ तो

उस स्पर्श को समझ जाना तुम...


हां मैं जानता हूं कि मैं भूल जाऊंगा हमारी एनीवर्सरी

तुम्हारा बर्थडे या घर से बाहर जाते वक्त तुम्हें आई लव यू बोलना

लेकिन कभी वक़्त बेवक़्त तुम्हें सीने से लगा लूं तो

समझ जाना तुम...


तुम्हारे बिना घर में एक बेचैनी सी होने लगे

और मैं कॉल करके कहूं कि "कहाँ हो इतनी देर से, अभी घर आओ"

तो मेरी नाराज़गी में छुपी मेरी तड़प को

समझ जाना तुम...


जो कभी झल्लाकर कहूं कि "तुम्हारी रखी हुई चीज़ मुझे कभी नहीं मिल सकती"

तो तुमपर मेरी निर्भरता को समझ जाना तुम...


हो सकता है मैं अपना हर दुख, हर परेशानी तुमसे साझा ना कर सकूं

लेकिन कभी किसी बच्चे की तरह तुम्हारी आगोश में सिमट जाऊँ तो समझ जाना तुम...


हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे..!!


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