STORYMIRROR

Rita Jha

Romance

4  

Rita Jha

Romance

परदेसी पिया

परदेसी पिया

1 min
279

परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में।

इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिचकारी में।।

फागुनी बयार ने दिल में बड़ी आग लगाई है ।

बसंत के मेले ने तेरी प्रीत में मिलन की आस जगाई है।।


माना गए हो तुम करने को अपने सपने साकार।

तुम्हारे उन सपनों से जुड़ा हुआ है पूरा परिवार।।

सुनो प्रियतम प्यारे तुम ही तो हो मेरे जीवन का आधार।

आ जाओ सपनों में भर कर रंग खेलेंगे होली संग इस बार।।


परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में।

इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिचकारी में।।


आओगे जो इस होली में याद करेंगे हम पहली होली।

किस कदर तुमने रंगों से भिगो दी थी मेरी चोली।।

नीला पीला हरा गुलाबी कच्चे थे व थे पक्के रंग।

जैसे जैसे छुड़ाए बाहरी रंग, चढ़ता गया तब प्रीत का गहरा रंग।।


परदेसी पिया आ जाओ तुम अबकी बार होली में।

इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिचकारी में।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance