खत लिखे
खत लिखे
लिखे तो खत तुझे कई
एक भी डाकखाने न गया
अपने जज्बातों से सींचा उन्हें
बक्से में बंद कर यादों का
सुनहरा सा एक पिटारा बना दिया।
मेरी भावनाओं से अंजान रहे तुम
अपनी दुनिया में बखूबी मगन रहे तुम।
मेरी सांसें भी तुम्हारे नाम से चलती हैं
इस सच्चाई से सदा अनजान रहे तुम।
मिलकर भी नहीं भी तो नहीं मिले तुम।