मिले जो तुम
मिले जो तुम
मेरे दिल की वीरान बगिया खिल उठी है
पतझड़ में मानो बसंत का आगमन हुआ
सूखी सी यह अवनि भी थोड़ी नम हुई है
उपवन में पीक की कूक शोर मचाती है।
इस जीवन में मुझे तुम जो मिल गए हो।।
हर पल हर लम्हा जीवन का मुस्कुरा उठा है
बगिया कलरव ध्वनि सम चहचहा उठा है।
निविड़ वीरान से भवन में गूंज रहा शोर
मेरे दिल को चुराने जो आया है चितचोर
स्मिता यूँ बिखरी रहेगी, तुम जो मिल गए हो।

