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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

कभी स्वीकार न किया

कभी स्वीकार न किया

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मन में अहंकार तांडव कर रहा

सपनों का मुकाम हर ढहा

हाय रे मानव तेरा जीवन कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया

कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया


प्रकृति तेरे बस में नहीं

तेरे कदम बस है यहीं

क्या नापेगा संसार सारा कभी

ब्रम्हांड का दीदार न किया

हाय रे मानव तेरा जीवन


कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया

कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया


यों संत राग अलापते चले गये कई

तरुवर मन हर बहार पुलकित नयी

क्या बांटेगा सुकून उड़ते पत्तों का झोंका

उम्र गया पर मोह का आसार न गया


हाय रे मानव तेरा जीवन

कभी

मोह का आसार न गया

कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया


दर दर भटक रहा दुख से भागा

जहाँ गया अतृप्त सुख ही माँगा

देख अपने भी छोड़ आया तू पिछे

साथ रहते प्रेम का व्यवहार न किया

हाय रे मानव तेरा जीवन

कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया

कभी

सच्चाई को स्वीकार न किया।


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