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KUMAR अविनाश

Abstract

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KUMAR अविनाश

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ये जो मुझ पर निखार है, साईं !

ये जो मुझ पर निखार है, साईं !

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ये जो मुझ पर निखार है, साईं !

आप ही की बहार है, साईं !


आप चाहें तो जान भी ले लें

आपको इख़्तियार है, साईं !


तुम मिलाते हो बिछड़े लोगों को

एक मेरा भी यार है, साईं !


मुझसे ही दामन उसका बांध दीजे 

दिल बड़ा बेताब है, साईं !


इश्क़ में लग़ज़िशों पे कीजे मॉफ़

साईं ! ये पहली बार है, साईं !


कुल मिला कर है जो भी कुछ मेरा

आपसे मुस्तआर है, साईं !


एक कश्ती बना ही दीजे मुझे

कोई दरिया के पार है, साईं !


रोज़ आँसू कमा के लाता हूँ

ग़म मेरा रोज़गार है, साईं !


मेरे प्यार से मिलने की दुआ दीजे

दर्द का कारोबार है, साईं !


ख़ार ज़ारों से हो के आया हूँ

पैरहन तार-तार है, साईं !


कभी आकर तो देखिए कि ये दिल

कैसा उजड़ा दयार है, साईं !


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