एहसास
एहसास
बहके मन संभल जा जरा
कोई बात किसी से ना कहना
यादों में एक गुलाब जो था खिला
मुरझा गया है वो जो टूट गया ।
ये संग में कैसी बरसातें है
बादल भी हवा संग उड़ गया
हम रहे इंतजार में बेजुबान बनकर
ये बादल जनाब कहीं और बरस गया।
ये कैसे कैसे रंग के फूलों का बाग है
इस मन के ख्याल बड़े बेरंग से है
हम एक फूल जो चुनने को तैयार हुए
कांटे हैं संग ऐसा सोच वहां से चल दिए।
ये दिल के राज कैसे वो समझते
हम एक मुलाकात में ही राज कैसे बताते
हमसे पहले हमारे बारे में बता दिया किसी ने
हमारे सच बोलने से पहले झूठे समझ लिए गए ।
एक भाव में अभावों का जन्म है
हमें दिखें जो ऐसे ही थे किसी उन्माद में
हमसे मिलें भी नहीं वो और बिछड़ गए
ये कैसे वो फिर भी हमारी यादों में है ।
ये कैसे कैसे हमारे व्यवहार है
एक दिन में ही बदल लिए विचार है
जीवन समझ में आया नहीं अभी तक
जाने हम अपने आप के कितने करीब है ।
ये कैसे कैसे मेरे अहसास है
मन मेरा बिन कारण परेशान हैं
ऐसा क्युं लगे कि वो आस पास है
जो ना मिला वो उम्र भर साथ है ।
