इंतजार का सार
इंतजार का सार


दिलकश अदाएं है मीत से मिलने को बैचैन राहें हैं
सांसें नहीं है सांसों के वश में यहां सिर्फ आहें हैं
जो आकर के नहीं जायेंगे ऐसा भरोसा है जब
तब उनके इंतजार में अनेक साल तो लग जाते हैं
रह रह कर राहों को देखना
सह सह कर सहन करना
कहें तो क्या ऐसे अपने नसीब का
जिसमें अपने मौन के ही साथ बातें करना
प्रिय के पास होने की इच्छा है
पर संग परिस्थितियों का गुच्छा है
छोटी छोटी बातों में रूठने वाले जो हैं
प्रेम के लिए अपना मन क्या रखने वाले हैं
एक शाम और एक बार
बस कर के देखों इंतजार
जिसके लिए किया करों इंतजार
बस भाव देखों उसने अगर कर दिया इंकार ।
कह रहा है सांसों का सितार
मन होता जाता है तार तार
अपनी आंखों का एक सितार
आंखों से चुरा ले गया संसार
अच्छा होता अगर चुरा लेता संताप
>मिलता थोड़ा संतोष और मिटता ताप
हवाओं की सरसहाट में
ना मिली जाने वाले की आहट
जाना था पर एक बार तो आना था
कहां जाओगे ये तो कह कर जाना था
जब आना ही नहीं तो कहकर क्या जाना
इंतजार में क्यों अपना वक्त गंवाना
इंतजार में यार हुये बहुत तार तार
ना आने पर रोते हैं जार जार
इस इंतजार के जंजाल में
यार मिलता नहीं कोई सार
इंतजार खत्म कभी जो होते हैं
आंसुओ के झरने झरते रहते हैं
सच्चे इंतजार में अच्छे मीत जरूर होते हैं
अच्छे मीत के लिए ही तो इंतजार करने होते हैं।
दिलकश अदाएं है मीत से मिलने को बैचैन राहें हैं
सांसें नहीं है सांसों के वश में यहां सिर्फ आहें हैं
जो आकर के नहीं जायेंगे ऐसा भरोसा है जब
तब उनके इंतजार में अनेक साल तो लग जाते हैं।