पेड़
पेड़
पेड़ लगाएं, जीवनदायी ,
हवा तभी तो हम पाएंगे ।
नहीं लगाए पेड़ अगर तो ,
बिना मौत ही मर जाएंगे।।
जंगल से बारिश होती है ,
जंगल से लकड़ी पाते हैं ।
कटे अगर जंगल तो लोगों,
दुख के बादल घिर आते हैं।।
जो बादल, दुख ही बरसाते ,
जनता की छाती फट जाती ।
बढ़ती आबादी विकास के,
पथ में कांटे खूब बिछाती ।।
अंधा शहरीकरण हुआ तो,
पर्यावरण प्रदूषित होगा ।
रेगिस्तान बनेंगी धरती,
कौन यहां तब हर्षित होगा।।
कंक्रीट के जंगल से हम ,
क्या बरखा बरसा पाएंगे ।
नहीं लगाए पेड़ अगर तो ,
बिना मौत ही मर जाएंगे ।।
हरी भरी धरती होगी तो ,
हराभरा आंगन भी होगा ।
सभी तरह के प्राणी होंगे ,
जीवन में गुंजन भी होगा ।।
जीव विविधता बहुत जरूरी ,
ये विकास का सच है मानें।
तापमान यदि काबू करना,
जंगल की महिमा हम जानें।।
पेड़ रहे तो छाया होगी ,
संतुष्टि का जीवन होगा।
देखेंगे जब हरित क्रांति हम,
तो खुशियों का नर्तन होगा।।
किया नियंत्रण भोगों पर तो,
खुशहाली घर ले आएंगे ।।
नहीं लगाए पेड़ अगर तो ,
बिना मौत ही मर जाएंगे ।।
"अनन्त"पेड़ हमारे जीवन ,
रक्षक हैं इनको पहचानें ।
यही सभ्यता संस्कृतियों के,
भी वाहक हैं ये भी जानें ।।
धरती का ये क्षरण रोकते,
पोषण करते हैं जनजन का।
देते हैं वरदान सभी को,
भेद नही करते आंगन का।।
पेड़ों की पूजा की हमने,
इनमें देवों का घर माना ।
कल्प वृक्ष भी होते इनमें ,
रखते धन काअमिट खजाना।।
तन निरोग करते ये निशदिन,
गर ये भूले पछताएंगे ।।
नहीं लगाए पेड़ अगर तो,
बिना मौत के मर जाएंगे ।।
