स्त्री
स्त्री
स्त्री! क्या तुम सिर्फ स्त्री हो?
इतनी पावन पवित्र पुनिता कौन थी?
स्त्री! तुम स्त्री हो तो सीता कौन थी?
गर तुम सोयी हो तो मैं तुम्हें जगाऊँ
आओ मैं तुमसे तुम्हारा परिचय कराऊँ
तुम धरती हो संसार धारी हो
तुम एक शक्तिवान नारी हो
विश्व जननी तुम मे जगत व्याप्त है
स्त्री! तुम बिन जीवन अपर्याप्त है
स्त्री! क्या तुम सिर्फ स्त्री हो तो?
स्त्री! तुम सिर्फ स्त्री हो तो
अनसूया माई कौन थी?
स्त्री! तुम सिर्फ स्त्री हो तो
अहिल्याबाई कौन थी?
तुम लक्ष्मी हो, दुर्गा हो, सरस्वती हो
तुम किसी ग़रीब की सौभाग्यवती हो
स्त्री! तुम जन्म देनेवाली जाई हो
स्त्री तुम्हें पता! तुम्ही द्वारकामाई हो
स्त्री! क्या तुम सिर्फ स्त्री हो?
ये जीवन तो, वैसे भी कशमकश
लगता है
पर,'स्त्री! तुम बिन बिलकुल
नीरस लगता है
तुम्हें भ्रम है कि हम खुद में मग्न हैं
पर,'स्त्री! हम तुम्हारा एहसानमंद हैं
हम नासमझ निस्सहाय आएं
जब इस लोक में
तब तुम्ही ने हमें संभाला था
नौ महीने तक गोद में
स्त्री! क्या तुम सिर्फ स्त्री हो?
तुम हर पुरूष का सुंदर सपना हो
स्त्री! तुम्ही भाव तुम्ही कल्पना हो
स्त्री! तुम जीवन की आशा हो
स्त्री! तुम प्रेम कि परिभाषा हो
तुम सबसे पवित्र गंगा का भेष हो
स्त्री! तुम हम सब में समावेश हो
स्त्री! तो क्या तुम सिर्फ स्त्री हो?
स्त्री! तुम सबलों में सबला हो
कौन कहता है तुम अबला हो
अपने सारे कमजोरियों को त्यागो स्त्री
जागो स्त्री! जागो स्त्री! जागो स्त्री!
फिर से जगो स्वाभिमानी बनो
फिर से झाँसी वाली रानी बनो
स्त्री! क्या तुम सिर्फ स्त्री हो?