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Sandeep kumar Tiwari

Classics

4  

Sandeep kumar Tiwari

Classics

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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मुझसे आख़िर वो ख़फ़ा क्यूँ है, 

अब वो लड़की बेवफा क्यूँ है ?


मिलना उससे फिर बिछड़ जाना,

फिर से वो ग़म सौ दफा क्यूँ है ?


कुछ मजबूरी पेड़ की होगी,

वरना वो कट के हरा क्यूँ है ?


दिल को देना है इबादत तो,

दिल को देना फिर ख़ता क्यूँ है ? 


उसने ख़ंजर ठीक  है मारा,

फिर भी ये दिल अध-मरा क्यूँ है ?


बस  काफी है आदमी होना, 

आखिर वो इतना भला क्यूँ है ? 


उसके दिल में मैं नहीं 'बेघर'

ये मेरे दिल को पता क्यूँ है ?


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