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Dibakar Karmakar

Abstract Classics Inspirational

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Dibakar Karmakar

Abstract Classics Inspirational

एक महामारी

एक महामारी

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एक महामारी देश में आयी है

इस महामारी से हमको एक साथ निकलना है,

इस महामारी को गले से कियूं लगा रहे हो

थोड़ा साबर करो अब घर से बहार कियूं जा रहे हो।


इश्क़ प्यार तो होती रहेगी

अब पेहेले अपने आप को बचाओ,

सच्चा प्यार है तो इंतेजार होगा

घर बैठके अपने तक़दीर को सजाओ।


सुना है आज कल भगवन

सफ़ेद कपड़ो में हॉस्पिटल में पाए जाते है ?

हमारी जान बचाके भी

वो अपनी जान नेही बचा पाते है।


पुलिसवाले का भी छुट्टी रद्द है

परिवार घर में उनका भी है,

किया करे टोपी जो पहन लिया है माथे पे

क्यूंकि भारत माँ की सुरक्षा करना उन्ही को ही है ।


सफाई कर्मी भी सफाई में जुड़े हैं

महामारी से उनको भी लड़ना है,

पागल है वो लोग जो गंदगी फैलाते हैं

कोरोना को ख़त्म उनको ही करना है।


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