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Dibakar Karmakar

Abstract Classics Inspirational

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Dibakar Karmakar

Abstract Classics Inspirational

अपने माँ बाप केहेलाते है

अपने माँ बाप केहेलाते है

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जो अपने बच्चो के भविष्य के लिए

अपने बर्तमान को त्याग देते है,

हर सूरत में हर सिरात में 

वो अपने माँ बाप कहलाते है।


शेषकाल में ना जाने कियूं बच्चे

बृद्धाश्रम को माँ बाप की आखरी स्थान बना देते है,

बच्चे कि ख़ुशी के लिए हर माँ बाप

अपनी खुशी की बलिदान दे देते है।


दोसो छे हड्डियों की टूटने की दर्द

हर माँ ख़ुशी ख़ुशी सहन कर लेती है,

खुद भूकी रहकर भी

अपने बच्चे को दो निवाला खिला देती है।


बच्चे को अच्छी नींद दिलाने के लिए

एक बाप भी बोहोत राते निद्राहीन गुजारते है,

कभी कभी एक बाप अपने बच्चे के लिए

पूरी दुनिया से लार लेते है।


उसके बाद भी हर रंग में,हर ढंग में 

वो अपने माँ बाप कहलाते हैं

है वो अपने माँ बाप कहलाते हैं।


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