STORYMIRROR

Shruti Kaushik

Abstract

4  

Shruti Kaushik

Abstract

यादें और हम

यादें और हम

2 mins
286


                                                     

यादें वो छोटे-छोटे पल जो ना जाने कब मैं बड़े हो जाते हैं,

कभी आंखों में आंसू ले आते हैं,

कभी लबों पर खुशी के फूल खिला जाते हैं.


यादें और हम कैसे जुड़ जाते हैं,ना एक दूसरे के साथ

कोई साथ रहे या ना रहे,

यादें वो जो हमेशा आपके साथ है


कभी दिल से इस तरह टकरा जाती हैं .,

यादों का भवर ले आती हैं,

बचपन की छोटी छोटी बातें .

यादें बनकर हमें हंसाती हैं,


वो पहला प्यार जिसकी यादें ,

आंखों में नमी ले आती है

दोस्तों के साथ हंसना वो खेलना

वो मुस्कुराना सब एक दिन यादें बन जाती हैं.


आज कोई हमारी यादों में है,

कल हम किसी की यादों में होंगे,

यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा,

जब तक इस दुनिया कi  नाम रहेगा.


हम रहे ना रहे एक दूसरे के साथ पर यादें जुड जाती हैं,

एहसास कराती हैं कि हम जिंदा हैं,

जो पल हम जी लेते हैं वह यादें बन जाती हैं,

जो होने वाला है वो सपना बन जाती हैं,

हम इन सपनों और यादों के बीच में खो से जाते हैं.


तेरी याद में आज भी दिल धड़कता है,

पहले प्यार का नशा आज भी कभी-कभी मुझ पर चढ़ता है,

वो नन्ही सी दोस्ती जब सिर्फ मुस्कुराहट से रिश्ता बनता था

वो दोस्ती,वो  दोस्त आज भी साथ है


कभी किसी के आने के पलों को याद करते हैं

कभी किसी के जाने के पल पर रो देते  हैं

जो साथ नही उनको याद करके,

उसका साया अपने साथ पते हैं


कितनी अच्छी सी दुनिया है ना यादों की

ना कोई होते हुए भी सब वहीं पर होते हैं

हंस लेते हैं कभी रो लेते हैं

हम तेरी यादों में यूं ही जी लेते हैं





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract