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Shruti Kaushik

Others

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Shruti Kaushik

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दादी

दादी

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मेरे अस्तित्व के अस्तित्व की जो पहचान है,

वो है मेरी दादी नानी,

बचपन का सबसे पहला प्यार जो है वह है दादी नानी।


वो दादी के साथ खेलना वह उन्हीं यूँ गुदगुदी करना,

रात भर उनसे कहानी सुनना ,

कभी रामायण सुनना कभी रामायण का बालकांड सुनना।


कभी किसी परी के देश में जाना,

कभी दादा के बारे में जानना ,कभी पापा की शरारतों को जानना,

कितनी अच्छी कहानियां थी ना।


कितनी सच्ची कहानियां थी,

ऐसा लगता था पूरा बचपन दादी की कहानी है,

दादी की कहानी में सीता जी का एक अलग ही पहलू था।


उनसे सुनी रामायण आज भी याद आती है,

उतना मजा आज भी किसी किताब में नहीं आता,

जितना उनसे सुने उस रामायण गीता में आता था।


जब कृष्ण जी को नटखट मेरी तरह बोलकर वह मुझे हंसाती थी,

तो ऐसा लगता था कि दुनिया का दूसरा रूप में देख रहे हैं।


जब कोई सुपरमैन नहीं होता था,

जब कोई पोकीमॉन नहीं होता था,

तब भी जिंदगी जीते थे हम सपनों की दुनिया में होते थे हम।


वह स्कूल की छुट्टियों में नानी के घर जाना,

उनके हाथ से बने नए नए पकवान खाना

ऐसा लगता था दिवाली हो गई।


जब उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की पहली बार मुझे कविता सुनाई,

जब उन्होंने झांसी की रानी को मुझ से मिलवाया,

जिंदगी में झांसी की रानी की तरह कुछ करने का जुनून मुझ में भी आया।


जब उन्होंने रावण की बुराई के साथ हाथ रावण की अच्छाई भी मुझको बताइ,

आप कितने भी खराब हो पर आप रावण की तरह

हर सीता के आत्मसम्मान की कदर करो।


मुझे प्यार से लड़ना सिखाया अपने स्वाभिमान के लिए,

अपने अधिकार के लिए,

कितने सुहाने दिन थे ना जब वह दादी नानी की कहानियां जिंदगी में थी।

ना था कोई लैपटॉप

ना था मोबाइल पर फिर भी हम जिंदा थे,

हम जीते थे जब नानी दादी की कहानियों में सदियों का फेरा होता था।


जब वह ना जाने कितने पुराने सालों से हमें मिला देती थी,

कहां गई आज वह नानी दादी की कहानियां,

क्यों उनको भूल कर हम खो गए हैं मोबाइल में।


क्यों हमें पब्जी अब पसंद आता है

जिंदगी अब जी नहीं रहे,

अब तो हम रोबोट बन गए हैं

जो हर पल इशारो पर चल रहे हैं।


बचपन की वह यादें कहां खो जाती हैं,

जब ना दादी को जानते हैं

जब ना नानी से मिलते हैं।


क्यों हम इतने बिजी हो गए,

क्यों अपनी दुनिया में इतने खो  गए ,

क्यों आज रिश्तो को भूल कर जिए जा रहे हैं

क्यों हम दादी नानी की कहीं कहानियों को भूलकर आगे बढ़ते जा रहे हैं।



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