क्षितिज़
क्षितिज़
सुंदर मनोहारी प्रकृति चित्रण,
रंगो का अद्भुत संयोजन
आकर्षण इस क्षितिज़ पटल का
क्षितिज़, क्षितिज़ – वह जगह,
जहाँ जमीं आसमां मिलते नज़र आते हैं।
भेद नहीं रह जाता कोई,
क्या अपनी; वो, पहचान बताते हैं ?
क्षितिज़, सुदूर क्षितिज़,
क्षितिज़ - वह जगह,
जहाँ जमीं आसमां मिलते नज़र आते हैं।
छोटा था तब जी ललचाता,
दूर क्षितिज़ जब चाँद था आता,
दौड़ उसे मैं पकड़ने जाता,
फिर भी मेरे हाथ न आता,
दूर क्षितिज़ ओझल हो जाता
समय बढ़ा, पंख लगा मैं उड़ने चला,
ऊँचा उडने की थी बारी,
क्षितिज़ को पाने की तैयारी,
धरती छोड़ आसमां आया,
क्षितिज़ तो फिर भी हाथ न आया,
मिली नयी क्षितिज परिभाषा,
क्षितिज़, क्षितिज़ – वह जगह,
जहां आसमां अंतरिक्ष
मिलते नज़र आते हैं
क्या सच में है वह जगह
जहाँ दोनों मिल जाते हैं ?
मिलकर कौनसी
नयी दुनिया बसाते हैं ?
फिर सोचा,
जमीं से नीचे पानी में जाऊँ,
समंदर की दुनिया का
पता लगाऊँ,
क्षितिज़ वहाँ भी नज़र था आया,
नयी क्षितिज़ परिभाषा पाया,
क्षितिज़,क्षितिज़ – वह जगह,
जहां पानी और जमीं मिलते नज़र आते हैं।
दूर कहीं दो का मिलना क्षितिज़ बनाता है,
इस मिलन का रूप मनोहर आता है,
क्षितिज़ पाने को भोला मन ललचाता है।
क्षितिज़ की खोज़ में है कौन चला ?
क्या किसी को है, क्षितिज़ मिला ?
बुद्धत्व क्या क्षितिज़ को पाना है ?
या ये व्यर्थ समय गंवाना है ?
फिर क्षितिज़ है क्या ? क्षितिज
क्षितिज़ तो है एक जिम्मेदारी,
क्षितिज़ सृजन की करो तैयारी,
हो सुंदर मनोहारी व्यक्तित्व चित्रण।
हो गुण रंगों का अद्भुत संयोजन,
तो क्षितिज़ दूर नही,
क्षितिज़ तुम्हारे पास है,
क्षितिज़ आस नहीं,
क्षितिज़ तो एक विश्वास है, क्षितिज,
क्षितिज़ - वह जगह जहाँ,
जीवन और सफलता मिल जाते हैं,
हम दूर क्षितिज़,
प्रेरणा बन, दूसरों को मार्ग दिखाते हैं।