संवेदनाएं
संवेदनाएं
संवेदनाएं है तो वेदना होती है,
संवेदनाएं मर जाती है तो वेदना आप खत्म हो जाती है !
संवेदना और वेदना का सम्बन्ध ऐसा होता है,
जैसे सूर्य और प्रकाश का समबन्ध होता है !
संवेदना के बिना मनुष्य अर्थहीन हो जाता है,
संवेदना के कारण ही मनुष्य एक दूसरे को समझ पता है !
संवेदनाएं प्रेम रूपी जल से पल्लवित होती है,
संवेदनाएं प्रेम रूपी जल के खत्म होने से मुरझा जाती है !
सूखे बाग दुबारा नहीं खिलते हैं पर प्रेम रूपी जल से,
संवेदनाओं को फिर से पल्लवित होने का अवसर होता है !