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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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मर्द की आवाज़

मर्द की आवाज़

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बड़ी अजीब सी होती है ,

मर्द की आवाज़ ,

एक धमक वाली ,

जो अच्छी नहीं लगती।


अच्छी क्यूँ नहीं लगती ?

इसी सवाल का उत्तर खोजने ,

सुनने की कोशिश की ,

मर्द की आवाज़।


एक शोर था उस आवाज़ में ,

एक दंभ भरी हँसी ,

एक चुभन जो घाव देती ,

एक तपन जो दर्द देती है।


एक झगड़ने की भावना हमेशा ,

कुछ सिद्ध करने की कामना हमेशा ,

परमेश्वर जैसा सर्वोपरि खुद को मान ,

एक दमन की लालसा हमेशा।


हाँ .... मैं डरती हूँ अक्सर ,

मर्द की आवाज़ से ,

चाहे वो आवाज़ कहीं से भी आये ,

किसी भी रुप में अपना रंग दिखाये।


पिता , पुत्र , पति और दोस्त ,

ये सब मर्द ही तो हैं ,

इन सबकी आवाज़ सुनने की आदत है ,

बस आदत नहीं गैर मर्द की।


गैर मर्द .... क्या पता कब बहक जाये ?

बिना कुछ कहे उस पर जादू चल जाये ,

बचते रहो हमेशा तभी ,

इस मर्द की आवाज़ से।


बड़ी अजीब सी होती है ,

मर्द की आवाज़ ,

एक धमक वाली ,

जो अच्छी नहीं लगती।।



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