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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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कटता हुआ विचार

कटता हुआ विचार

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कहते हैं टूट जाता है आसमान,

कहते हैं टूट सकने वाले आसमान में टूट जाते हैं तारे,

और तारे जैसे दिल भी टूट जाते हैं,

उम्मीदें दिल की भी कितनी ही बार टूट जाती हैं.


लेकिन

कहता है विज्ञान,

उम्मीदें हिस्सा नहीं दिल का,

न टूट सकता है दिल कितना भी फेंक लो,

तारे बनते हैं जायंट स्टार मरने से पहले,

और आसमान आज तक कभी टूटा नहीं.


कहते हैं कसम खाई जाती है,

कहते हैं पी लेते हैं दुःख.

कहता है विज्ञान ये कोई चीज़ें नहीं जो खाई-पी जाएं.


कहते हैं चला लेते हैं जीवन,

और कहते हैं रुक जाता है समय.

कहता है विज्ञान कि जीवन और समय के पैर नहीं होते.


कितनी ही बातें कविताओं की विज्ञान काट देता है 

यह कह कर कि बात को किसी बात से काटा नहीं जा सकता.


वो बात और है कि,

कविता ने आज तक विज्ञान की बातों को नहीं काटा


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