जिस्म औ रूह को तफत ना करना
जिस्म औ रूह को तफत ना करना
काश , वो कभी मुझे याद करते हुए,
मेरी कमतरी व अधूरापन भूल जाते !
मेरे जिस्म औ रूह को तफत ना करते,
और मेरे वज़ूद को मुझे पूरा याद रखते !
आज जिंदगी में उम्मीदों के उजाले होते,
अगर जो हमने सारे रिश्ते संभाले होते !
चंद खुशी के लिए हमने गम ए हयात को,
काश हम अपने घर से ना निकाले होते !
दौरे सफर में यह होना था इक रोज,
रास्ते दुश्वार और, पांवों में छाले होते !
कहीं से तो आए तो संभल जाएं ज़रा,
इस बात पर कई काम ना टाले होते !
वो हमें ठीक से परख लेते तो कभी,
हम भी उन्हें ठीक से, देखे भाले होते !
संग ए राह के मानिंद पड़े रहते, अगर,
दिल पर न कभी इतने, कसाले होते !
उसकी मोहब्बत का जुनून ऐसा कि,
हम डूबते भी और उतराए भी होते !
उसकी बेवफाई ही ले डूबी जां मेरी,
पर दुनिया को साबुत नज़र आए होते !
