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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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खामोशी

खामोशी

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खामोशी मेरी बताती है

बात मेरी जज़्बाती है

चिंताओं के तूफानों मे

मेरी कश्ती उतराती है


इन सागर की लहरों मे

गमों को सागर के सीने मे

छुपा रहा हूँ मै उनको

जो घाव हुए हैं मेरे दिल मे


क्या कहना है अपनी बातों को

क्या सुनना है हमको तेरी बातों को

वक्त हमे अब सिखा गया

सुनना है केवल सबकी बातों को


ये जीवन दुखों से भरा हुआ

सबके तानों का सुना हुआ

अब क्या कहना उन बातों को

जिनका न कोई मोल हुआ


कौन है अपना कौन पराया

आँखो ने हमको रोज दिखाया

अब क्या देखूं उनको मै

ये दुनिया दारी एक माया है


बहुत सी बातें हैं बतानी

मेरा जीवन है एक कहानी

कोई मिले जो सच्चा साथी

उसको सारी बात बतानी


मेरी रचना ये अपने शब्दों से

मेरी हर बात बताती है

जीवन के मेरी करुण कथा

सबको ये मंचों मे सुनाती है


खामोशी मेरी बताती है

बात मेरी जज़्बाती है

चिंताओं के तूफानों मे

मेरी कश्ती उतराती है।


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