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Navneet Gupta

Abstract

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Navneet Gupta

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कल्पनायें

कल्पनायें

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किसी के विचारों के द्वार ही होंगे

वक्त की ज़रूरत होगी

उनके सपने होंगे


जो उन्होंने भाटा के उद्वेग मे

शब्दों से उतारे होंगे॥

पसन्द करने वाले अनुयायी 

मिले होंगें॥

आगे विश्वास और आस्थाओं 

ने उन विचार, शैली को अपनाया ही होगा

और आज वो हमारे बीच धर्म, मत , मठ 

के रूप में चल रहे हैं॥

कभी कभी उनमें होड़ होती है

कौन बेहतर?

फिर वो हिसंक भी हो जाते होगें

जो प्रारम्भिक मूल में था ही नहीं!

यहाँ फिर हम और हमारा आज होता है

भीड की शक्ति दीखती है॥


जिस बात के लिये वो पिटे कुट् मरे भी थे

बेशक उनका मरना बलिदान था

पर, पर आज हम उस आड़ में कितनों का बलिदान लेते

और भीड़ हैं ना!


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